Kashar Devi Temple Almora
कसारदेवी मंदिर, अल्मोड़ा
ज़रा सोचिए, गुरुदत्त और पंडित रविशंकर टहलने निकले हों और उन्हें सामने से आते सुमित्रानंदन पंत नजर आ जाएँ जो शाम की रिहर्सल के लिए गीत लिखकर लाए है. खुले मंच पर ज़ोहरा सहगल को उस्ताद अलाउद्दीन खान गाने का रियाज़ करवा रहे हों और सामने से सिगार पीता कोई दढ़ियल अंग्रेज़ यूं गुज़र जाए जैसे उसने कुछ देखा-सुना ही नहीं. बाद में पता चले कि वह तो विख्यात लेखक डीएच लॉरेंस था.
जी हाँ ये बात है एक ऐसे स्थान की जहां पर एक समय में भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के बुद्धिजीवी लोग आकर रहते थे।
कसारदेवी। वह नाम जो उत्तराखंड की अल्मोड़ा पहाड़ियों पर स्थित है।
अल्मोड़ा की लाला बाजार से लगभग ८ KM की दूरी पर स्थित यह स्थान कसारदेवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कसारदेवी का नाम दरअसल दूसरी शताब्दी में बनाए गए कसारदेवी मैय्या के एक मंदिर के कारण पड़ा है. कश्यप पर्वत पर बने इस पुराने मंदिर को लेकर एक अनुमान यह भी है कि ईसा से नौ सौ वर्ष पूर्व पश्चिमी एशिया से आये प्राचीन कासाइट सम्प्रदाय के अनुयायियों ने इस मंदिर की स्थापना की थी. इसी समुदाय के नाम पर कसारदेवी का नाम पड़ा बताया जाता है.
यह वही जगह है, जहां स्वामी विवेकानंद भी आए थे और ध्यान किया था, तब से ये जगह और मंदिर हर तरह के यात्रियों के बीच फेमस हो चुकी है।
कसार देवी मंदिर परिसर का स्वामी विवेकानंद जी से गहरा नाता है, साल 1890 में स्वामी विवेकानंद ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए यहां आए थे. यहां पर स्वामी विवेकानंद की गुफा भी हैं विवेकानंद गुफा में जहां आज भी आपको कई साधु ध्यान मुद्रा में बैठे दिख जायेंगे। इसी तरह बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने भी गुफा में रहकर विशेष साधना की थी. अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण यहां देश विदेश से कई पर्यटक आते हैं.
नोबेल जीतने वाले गायक-कवि बॉब डिलन हों या मशहूर इटैलियन पत्रकार-लेखक तिज़ियानो तरजानी,
टिमोथी लेरी हो या नील डायमंड, कई सितारों के जीवन में कसारदेवी मौजूद रहा है.
डैनी-के की लड़की डीना ने तो कसारदेवी के डीनापानी में एक अस्पताल तक बनवाया. यहाँ तक की इस दौर की सुपरस्टार उमा थर्मन के शुरुआती बचपन का हिस्सा कसारदेवी में बीता है जहाँ उनके पिता रॉबर्ट थर्मन लामा अंगरिका गोविंदा के साथ ध्यान करते आते थे.
इस बार अम्बानी परिवार की कसारदेवी दर्शन पर आये हुए दिखे । एक समय में हिप्पी आंदोलन के चलते हिप्पी हिल्स के नाम से जाने वाली इस जगह के आस पास माट, मटेना, गदोली, पपरसैली और डीनापानी आदि कई गांव हैं।
पर्यावरणविद भी बताते हैं कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। योग और ध्यान के लिये सर्वोत्तम जगहों में से एक जगह है कसरदेवी जो अपने आप में भारत में केवल एक और दुनिया में ३ ऐसे स्थानों में आती है जहां पर चुम्बकीय शक्ति का विशेष पुंज है । पेरू और इंग्लैंड के अलावा भारत के उत्तराखण्ड में यह स्थान अपने आप में अनूठा है । यह बातें इंटरनेट पर लगभग हर जगह पर बताई जाती है लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है हम इसकी पुष्टि नहीं करते। यह और बात है कि कसारदेवी की बात करने वाली हर पर्यटन-वेबसाइट में इस तथाकथित तथ्य को खूब बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है.
लेकिन कसारदेवी से अल्मोड़ा का नज़ारा और हिमालयन व्यू सच में अद्भुद है जिसे आप अपनी अल्मोड़ा या आस पास की यात्रा में इग्नोर नहीं कर सकते।
कसारदेवी के आस पास ही आप कुमाऊनी थाली का लुत्फ़ ले सकते हैं जिसका कॉस्ट लगभग २००-३०० rs पड़ेगा जिसमें गहत की दाल, ड्राई चना या आलू , घी , चावल, लाल चावल की खीर, पहाड़ी रायता, मडुए या रागी की रोटी, हरी सब्ज़ी और गुड़ मुख्य रूप से परोसा जाता है। इसके अलावा हर तरह का नार्थ इंडियन खाना अल्मोड़ा या कसारदेवी में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
कसारदेवी पहुंचने के लिए आपको अल्मोड़ा नगर तक पहुंचना पड़ेगा जो दिल्ली से लगभग 390km की दूरी पर है। अल्मोड़ा से लोकल टैक्सी या निजी वाहन से कसारदेवी आसानी से पंहुचा जा सकता है।
आज के लिए बस इतना ही, फिर बात होगी उत्तराखंड संस्कृति पर और करेंगे कुछ अलग जगहों की यात्रा। तब तक
जय भारत जय उत्तराखंड
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