रुपयों का यदि पेड़ निकलता।
सोचो बच्चों अपने घर में रुपयों का यदि पेड़ निकलता, नदियां पेट्रोल की बहती,
तुम क्या करते, हम क्या करते ? जल्दी से बोलो फिर
बच्चों , तुम क्या करते हम क्या करते ? मोटर गाड़ी पेड़ पर उगती , अपने से खाना उगता जब ,
हवाई जहाज चला सकते यदि, फूंक मार ने से ही हम सब। जल्दी से बोलो फिर बच्चों , तुम
क्या करते हम क्या करते ? नहीं किताबें पढ़नी पड़ती ,इम्तिहान का नाम ना होता।
दिन भर खेलो कूदो ज़ी भरकर , कहीं डांट का नाम ना होता।
जल्दी से बोलो फिर बच्चों , तुम क्या करते हम क्या करते ?
ऐसे में फिर हम सब बच्चे , नाच नाच कर हंसते फिरते। बचपन जी भर कर हम जीते , मजा उड़ते मस्ती करते।
यह कविता मनोरंजन के लिए है, मनोरंजन से जीवन में नवीनता आती है ,जीने का आनंद बढ़ जाता है,
सपने बच्चों की जीवन का एक ऐसा हिस्सा है, जो उनके जीवन को खुशियों से भर देते हैं,
सपने यूं ही तो कभी सच नहीं होते लेकिन हमें वैसे ही सपने देखने चाहिए जो सच
हो सके , कल्पनाएं मुरझाए हुए मन को प्रसन्नता से भर देते हैं , कल्पना
की उड़ान में हम पक्षी बंद उड़ना चाहते हैं। लेकिन क्या यह संभव है, नहीं , ऐसा नहीं होता।